essay on dowry system in hindi – दहेज़ – प्रथा पर हिंदी निबंध
आज हमारे देश में दहेज प्रथा एक कलंक की तरह फैला हुआ है इसमें कहीं न कहीं हमारे समाज के साथ देश की कानून व्यवस्था भी जिम्मेदार है | हम और हमारा समाज जागरूक नहीं और ना ही हमारा देश सख्त है | इसलिए हमारे देश में जो लोग जैसा चाहे कर सकते हैं उनके ऊपर किसी सख्त कानून का कोई मामला नहीं होता है | भारत में फैली दहेज प्रथा को देखते हुए देश में होने वाली परीक्षाओं में विद्यार्थियों के द्वारा दहेज प्रथा पर निबंध पूछा जाता है | जिसमें उनके द्वारा दिए गए राय जानने की कोशिश की जाती है आज के इस निबंध में दहेज प्रथा पर हिंदी निबंध 2023 लघु मध्यम तथा दीर्घ रूप में प्रस्तुत करने जा रहे हैं आशा करते हैं आपको या निबंध बहुत पसंद आएगा –
दहेज़ – प्रथा पर हिंदी निबंध – 2023
निबंध 1 ( 50 शब्दों में ) –
विवाह की रीती – रिवाज़ के दौरान वधु पक्ष के द्वारा जो धन और संपत्ति वर पक्ष को दिया दिया जाता है , उन्हें दहेज़ के नाम से जाना जाता है | भारत में उर्दू भाषा के अंतरगत इसे जहेज के नाम भी जाना जाता है | दहेज़ समाज के अंदर फैली एक सबसे बड़ी बुड़ाई है |
निबंध 2 ( 100 शब्दों में ) –
दहेज़ प्रथा मानव के लिए एक दंस है | दहेज़ प्रथा हमारे अंदर की लालसा को और बढ़ा देता है | दहेज़ प्रथा समाज के लिए एक अभिशाप है जिसमे एक निर्दोष नारी झुलस कर अपना जीवन समर्पित कर देती है | दहेज़ प्रथा ये आग है जिसमे हम सभी एक के बाद एक जलते है |
ये एक ऐसी बीमारी है जो हमे मृत्यु तक लेकर जाती है | इस प्रथा ने कितने ही जिंदगियाँ और घर बर्बाद कर डाले है इसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते है |
निबंध 3 ( 150 शब्दों में ) –
दहेज़ भारतीय समाज में फैली सभी कुरीतियों में सबसे भयानक प्रथा मानी जाती है | दरअसल दहेज़ शादी – उत्सव के दौरान वधु पक्ष के द्वारा वर पक्ष को जो राशि , संपत्ति और धन दिया जाता है उन्हें दहेज़ कहा गया है |
essay on dowry system in hindi – दहेज़ – प्रथा पर हिंदी निबंध
ये प्रथा भारत के अलावा अन्य देश – पकिस्तान , बंगलादेश , यूरोप, अफ्रीका आदि जगहों में काफी लम्बे समय से चली आ रही है | दहेज़ समाज में एक ऐसी पीड़ा के रूप में अस्तित्व रखती है जिसे सहन करना नामुमकिन हो गया है | दरअसल भारत में वर्षो से चली आ रही कई साड़ी परम्पराये है इसलिए भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है |
पूर्व में इस प्रथा के दुष्परिणाम ना के बराबर ही देखने को मिलते थे | वर्षो से चली आ रही दरअसल ये प्रथा पिता की संपत्ति अथवा धन को अपनी पुत्री की विवाह के दौरान कुछ हिस्सा उनके अधिकार के रूप में उन्हें भेंट कर देते थे जिससे उन्हें जीवन – यापन करने में सरलता हो जाती थी |
निबंध 4 ( 250 शब्दों में ) –
प्राचीन काल से ही दहेज़ – प्रथा समाज में अपना स्थान बनाये हुयी है | दरअसल दहेज़ प्रथा वधु पक्ष के द्वारा वर पक्ष को संपत्ति या धन के रूप दिया उपहार होता है जिसे हम दहेज़ के नाम से जानते है | आज दहेज़ – प्रथा का समाज में हम वो भयावह रूप देखते है जिसे सहन करना हमारे लिए नामुमकिन होता है दरअसल इस प्रथा का वैदिक काल के अंदर कोई भयावह रूप नहीं था |
आज हमारी लालसा ने हमे इस प्रथा के रूप को भयावह बना के रख दिया है | आज हम इस प्रथा को वो आग की तरह रूप दे दिए है जिस आग में हम दुसरो को जलने के लिए छोर देते है परन्तु कुछ समय बाद वही आग हमारी घर को जला कर बर्बाद कर देती है और हम देखते ही रह जाते है | दहेज़ – प्रथा के लिए आज हम इतने गिर चुके है की पैसे के लिए किसी की जान लेने से पीछे नहीं हटते है |
essay on dowry system in hindi – दहेज़ – प्रथा पर हिंदी निबंध
आज दहेज़ – प्रथा समाज में फैली ऐसी बुराई है जिससे हर पिता सहमा हुआ और चिंतित रहता है की अगर वे जवान बेटी की शादी में दहेज़ के लिए उपयुक्त धन संचय न कर सके तो हमारी बेटी की शादी नहीं हो सकेगी और जो ससुराल में उसे संम्मान और आदर नहीं मिलेगा | आज संसार में इतने गरीब बेटियाँ है जिनकी दहेज़ के कारण शादी नहीं हो रही है |
निबंध 5 ( 500 शब्दों में ) –
प्रस्तावना –
दहेज़ – प्रथा आज दहेज़ की असली मूल्य को भूलकर दहेज़ – प्रताड़ना में तब्दील हो गया है | इतिहास के अंदर जहाँ ये प्रथा सही दिशा और जीवन को समृद्ध बनाने के लिए अस्तित्व में आया वही आज ये प्रथा जीवन समापन कर देने वाली बन गयी है |
दरअसल दहेज़ कल तक शादी में अपनी पुत्री की ख़ुशी के लिए वर पक्ष को उपहार के रूप में अपनी क्षमता के अनुरूप कुछ धन अथवा संपत्ति देते थे जिससे जीवन समृद्ध हो जाता था , उन्हें हम दहेज़ के जानते है |
परन्तु आज के समय में यही प्रथा हमने अपनी लालसा और तृष्णा को शांत करने का माध्यम बना बैठे है दरअसल इसके असली मूल्य अथवा महत्त्व को भूलकर अपनी तृष्णा के कारण इसे सिर्फ और सिर्फ एक अभिशाप बना बैठे है |
दहेज़ – प्रथा एक समस्या के रूप में –
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार देश में हर 1 घंटे में एक महिला की मौत दहेज संबंधी कारणों से हो जाती है | आंकड़े बताते हैं कि देश के विभिन्न राज्यों से साल 2012 में दहेज हत्या के लगभग 9000 मामले सामने आए थे | देश में अब तक वर्ष 2007 से 2011 के बीच दहेज प्रथा से बलि चढ़ने वाले महिलाओं की संख्या सबसे अधिक दर्ज की गई है |
अर्थात यह प्रथा प्राचीन काल से अब तक समाज में अस्तित्व रखती है जहां प्राचीन या वैदिक काल में दहेज प्रथा लोगों में समृद्धि और खुशहाली लेकर आती थी वही आज यह प्रथा इंसान की तृष्णा और लालसा के कारण समाज कि सबसे बड़ी कुरीति और अपराध बन गयी है |
essay on dowry system in hindi – दहेज़ – प्रथा पर हिंदी निबंध
जहां भारत में बेरोजगारी और गरीबी चरम पर है लोगों की आय बिल्कुल ही निम्न है वही लोगों की बेटियों की शादी एक कलंक बनकर रह गई है | क्योंकि उनकी शादी के लिए उपयुक्त धन संचय ना किया जाए तो लड़की की शादी शादी नहीं बल्कि उनकी चिता बन जाती है | दहेज की आकांक्षा में डूबे लोग अपने वधू का सत्कार और सम्मान कभी नहीं करते हैं बल्कि उन्हें उत्पीड़ित कर मौत के मुंह तक पहुंचा देते हैं |
उपसंहार –
दहेज प्रथा आज हमारे समाज की सबसे बड़ी चुनौती है | आए दिन समाचार माध्यम के जरिए हम सुनते रहते हैं कि कल किसी लड़की की मौत हो गई है और वह भी दहेज प्रथा के कारणों की वजह से | मन में बहुत ज्यादा क्लेश होता है क्योंकि दहेज प्रथा एक ऐसी बुराई बन गई है जिसे समाज से बाहर निकालना एक चुनौती भरा काम है |
आज देश के न्यायालय में दहेज प्रथा से संबंधित कई सारे केस पड़े हुए हैं जिनसे जिंदगी या हमारे पल बर्बाद हो रहे हैं जहां शादी हमारे जिंदगी में खुशहाली लाती है वही अब शादी हमारे लिए एक दंस से कम नहीं है |
दिन-ब-दिन दहेज प्रथा से संबंधित हत्याएं बढ़ती ही जा रही है | दहेज़ – प्रथा के कारन बेटियाँ सुरक्षित नहीं है क्योंकि शादी के बाद भी वह सुरक्षित रह पाएगी या नहीं ये एक संवेदना मन में बानी हुयी रहती है |
निबंध 6 ( 1050 शब्दों में ) –
प्रस्तावना –
दहेज प्रथा संसार में प्राचीन काल से ही एक परंपरा के रूप में चलती आ रही है | दहेज प्रथा में वधू पक्ष के द्वारा कुछ धन या राशि अथवा संपत्ती वर पक्ष के लोगों को उपहार के रूप में दिया जाता है जिसे हम ” दहेज ” का नाम देते हैं | भारत में इसे उर्दू भाषा में ” जहेज ” के नाम से जाना जाता है |
इस प्रथा की शुरुआत वैदिक काल से प्रारंभ हुई थी जिसका मकसद समाज में स्मृति और खुशहाली को प्राप्त करना था | प्राचीन काल के लोगों में तृष्णा और लालसा बिल्कुल भी नहीं थी तब यह लोगों के लिए समिर्धि और खुशहाली का उपागम था | आज के आधुनिक युग में यह एक बड़ा व्यापार के रूप में अपना पांव जमा चुकी है |
आज हमारा समाज तृष्णा और लालसा के जाल में जकड़ चुका है | लोगों की मानसिकता इतनी खराब है कि अपने बेटे की शादी में मुंह मांगा दहेज का प्रस्ताव रखते हैं जिससे लड़की पक्ष को काफी सदमा पहुंचता है| आज के इस महंगाई के दौर में लोगों की आय एक समस्या बन चुकी है वहीं दूसरी ओर दहेज सर आंखों पर चढ़कर बोलते हैं | यह एक ऐसी सामाजिक बुराई है जिससे कई जिंदगियाँ और घर बर्बाद हो चुके हैं |
दहेज़ – प्रथा एक अभिशाप –
दहेज प्रथा समाज में विध्वंस के रूप में फैलता जा रहा है | दिन-ब-दिन और भी ताकतवर होता जा रहा है | आज समाज में अशिक्षित , निरक्षर और पढ़े-लिखे समुदाय सभी दहेज प्रथा के शिकार हो रहे हैं | आज समाज में शादी समारोह के दौरान बोली लगाई जाती है कम पढ़े लिखे लोग और अशिक्षित लोगों को दहेज के नाम पर कम राशि मांग की जाती है |
essay on dowry system in hindi – दहेज़ – प्रथा पर हिंदी निबंध
वही शिक्षित और पढ़े लिखे समाज में यही राशि अधिक मांगी जाती है | दहेज प्रथा के चलन से आज समाज में कितने ही लोग कर्जदार हो गए हैं समाज में आज ऐसे भी लोग हैं जिनके पिता दहेज का कर्ज चुकाते – चुकाते दुनिया छोड़ चुके हैं | और अब यह कार्य उनके बच्चे चुका रहे हैं आज समाज में दहेज प्रथा के रूप में बाइक ,आभूषण, फर्नीचर , गहने , महंगी गाड़ियां ,फ्लाइट, जमीन आदि का मांग किया जाता है |
समाज के अंदर कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी पुत्री की शादी के दौरान अपनी जमीनों को बेच देते हैं और फिर दहेज का राशि अदा करते हैं | आज भारत के अंदर अधिक से अधिक ऐसे घर है जो दहेज चुकाने के लिए अपने जमीनों को बेच देते हैं |
दहेज़ – प्रथा के कारण –
दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीति आज भी समाज में अपना अस्तित्व बनाए हुई है | इसका कारण हम, हमारा समाज और हमारा देश है | हम सबसे पहले स्वंय में सक्षम और जागरूक होकर समाज को जागरूक कर सकते हैं और फिर हमारा समाज हमारा देश को जागरूक कर सकता है | दहेज प्रथा का अभी भी समाज के अंदर जगह बनाए रखने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –
(क ) लोगो की लालसा –
आज के इस आधुनिक युग में हर कोई धन की लालच में पड़ा रहता है | एक इंसान जब अपने पुत्र को पढ़ा लिखा कर शिक्षित नागरिक बनाता है तो पुत्र में किए गए खर्च का वसूली अपने वधू के पक्ष से करने की कोशिश में रहता है | अपने बच्चे पर किए गए खर्च की वसूली वह वधू पक्ष से करता है ऐसी मानसिकता हमारे समाज में फैली हुई है |
लोगों में तृष्णा और लालसा कूट-कूट कर भरी हुई है जिससे वह दहेज प्रथा का बहिष्कार कर पाने में अक्षम महसूस करते हैं की दहेज़ के रूप में उन्हें एक मोती राशि प्राप्त हो जाती है जिसमे उन्हें कोई ऊर्जा खपत करने की कोई जरुरत नहीं होती है |
( ख ) कानून का सख्त न होना –
कहा जाता है भारत का संविधान लचीला है | यहां की न्यायपालिका की तो बात ही अलग है किसी मुद्दे और मामला को सुलझाने में उन्हें कई वर्ष का समय लग जाता है | दहेज – प्रथा से जुड़े किसी मामला को अगर न्यायालय में दर्ज किया जाए तो उसे सुलझाते हुए कई वर्ष का समय लग जाता हैं |
यहां तक कि उस मामलात के दौरान कई ऐसी पीड़िता भी है जो इस दुनिया को कोर्ट के चक्कर लगाते लगाते हैं स्वयं को मृत्यु को पा लेती है| इसका आशय यह है कि भारत का संविधान लचीला और भ्रष्टाचार से भरा – पड़ा हैं | यहां की कानून व्यवस्था का कोई लेखा-जोखा नहीं है आज भारतीय समाज में दहेज प्रथा एक अभिशाप के रूप में फल फूल रहा है |
इसमें कहीं न कहीं भारत की संविधान और कानून व्यवस्था जिम्मेदार है हमारा कानून व्यवस्था सख्त हो जाए और ईमानदारी से कार्य का निष्पादन करें तो दहेज प्रथा का अंत हो सकता है या फिर इसमें कमी जरूर देखने को मिल सकती है |
(ग ) लोगो में जागरूकता की कमी –
दहेज प्रथा आज समाज में इतनी ऊंचाई पर चला गया है इसमें कहीं न कहीं कानून व्यवस्था के साथ-साथ हम और आप भी जिम्मेदार हैं | जब हम किसी शादी विवाह के समारोह में जाते हैं तो जब हमें यह पता चलता है कि विवाह के दौरान दहेज के रूप में बहुत सारा धन एकत्र किया गया है तो हम उसे बहिष्कार करने के बजाय उसे स्वीकार करते हैं |
जिससे ऐसी मानसिकता रखने वाले व्यक्ति का और ज्यादा उत्साहवर्धन होता है | और हमें स्वयं में यह भी डर रहता है कि अपनी पुत्री की शादी में अधिक धन संचय कर ना रखा जाए तो एक अच्छे वर की तलाश संभव हो नहीं हो पाएगी | हम किसी भी तरीके से अच्छे धन का संचय कर और फिर शादी विवाह को अंजाम देते हैं |
दरअसल हमारे अंदर कमी है और जिस कमी से दहेज प्रथा समाज में फल फूल रहा है कहीं ना कहीं हमारे अंदर इसकी जागरूकता की कमी है या फिर हम खुद में ढीठ बने बैठे है |
निष्कर्ष –
हम , हमारा समाज और फिर देश दहेज प्रथा के खिलाफ खड़े नहीं हो रहे हैं इसके नकारात्मक पक्ष समाज के अंदर हमें खूब देखने को भी मिलते हैं | हम डरते हैं कि अगर हम दहेज प्रथा के खिलाफ हो जाएंगे तो शायद हमारी पुत्री का विवाह नहीं हो पाएगा क्या फर्क पड़ता है पुत्री का विवाह ससमय नहीं हो परंतु आपके एक कदम से देश की कई अन्य पुत्रियों के जीवन बर्बाद होने से तो जरूर बच जाएंगे |
दहेज प्रथा के खिलाफ आपका मुहीम देश की कई गरीब बेटियों जीवन को सफल जरूर बना देगा इसलिए हमें कल की चिंता किए बगैर दहेज प्रथा के खिलाफ मुहिम में शामिल होकर एक विशाल आंदोलन छेड़ना चाहिए | जिससे इस आंधी में जितने भी दहेज लोभी बैठे पड़े हैं वे सभी स्वयं को संभाल सकेंगे | देश से इस पीड़ा का अंत हो सकेगा और फिर हम अपनी बेटियों को आग में जलने से बचा सकेंगे |
इस लेख को प्यार देने के लिए आपका शुक्रिया !
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