Essay on Mera Bachpan in Hindi For students

essay on mera bachpan in hindi

essay on mera bachpan in hindi – मेरा बचपन पर हिंदी निबंध

हम सभी इस दुनिया में सफल होना चाहते हैं परंतु हमारी सफलता में हमारी बचपन का बहुत बड़ा योगदान होता है|  हमारा बचपन किस पर्यावरण में और किस तरफ गुजरी है इस बात का हमारे आने वाले जीवन में काफी महत्व रखता है | आज के इस लेख के माध्यम से इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हम सीखेंगे मेरा बचपन पर हिंदी निबंध 2021 जो परीक्षा के दृष्टिकोण से कक्षा 2,3,4,5…………. 12 तक के सभी विद्यार्थियों के लिए लाभप्रद और सहायक सिद्ध होने वाली है | इस लेख  के माध्यम से हमें आप की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए लघु ,मध्यम और दीर्घ निबंध(short , medium and long essay मेरे बचपन पर हिंदी निबंध 2021 प्रस्तुत करने जा रहे हैं उम्मीद है आपको या निबंध बहुत पसंद आएगा तो चले चलते हैं निबंध की ओर – 

मेरा बचपन पर हिंदी निबंध – 2021

निबंध 1 ( 250 शब्दों में ) –

बचपन का दिन सभी के जीवन में बहुत खुशियों भरा होता है क्योंकि उन्हें माता – पिता के द्वारा ढेर सारा प्यार मिलता है | जब हम बड़े हो जाते है तो बचपन के दिन बहुत ज़यादह याद आते है | बचपन में हम सभी भविष्य की चिंता किये वगैर हम निर्भीक होकर जीवन का आनंद उठाते है और जैसे ही बड़े होने लगते है हमारे अंदर ये साडी भावनाये बाहर निकलने लगती है |

जीवन के कई पड़ाव होते हैं परंतु उनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हमारा बचपन ही होता है | बचपन ही हमारे जीवन की नींव रखता है | दुनिया में कई सारे ऐसे भी लोग हैं जिनका बचपन दुखों से भरा पड़ा होता है | दुनिया में ऐसे भी सौभाग्यशाली लोग है जिनका बचपन खुशियों से भरा हुआ होता है |  मै मेरे माता-पिता का सबसे बड़ा बेटा हूँ | मेरे माता पिता के द्वारा मुझे बचपन से ही खूब लाड़ – प्यार मिला है | 

मेरा जन्म एक गरीब परिवार में ही हुआ था | लेकिन मुझे मेरे माता-पिता के द्वारा मिले प्यार से कभी महसूस नहीं हुआ कि मैं किसी गरीब परिवार में जन्म लिया हूं |  बचपन से ही में नटखट और खेल प्रवृति का बच्चा रहा हूँ |  मेरी शिक्षा गांव के एक स्कूल में बचपन से ही प्रारंभ हुई |  बचपन में स्कूल जाने के बाद स्कूल की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद पुनः वापस घर आता था|  नाश्ता – पानी करके पुनः  खेल मैदान की ओर चला जाता था|

निबंध 2 (400 शब्दों में ) –

बचपन हर किसी के जीवन का एक खास हिस्सा होता है | दुनिया में हम कितने ही सफल क्यों ना हो जाए पर जब हम बचपन के दिनों को याद करते हैं तो बहुत ज्यादा प्रसन्न हो जाते हैं|  बचपन की जो यादें होती है पूरी जिंदगी भर एक धरोहर की तरह होती है जिन्हे हम याद करके गौरवान्वित होते है |

essay on mera bachpan in hindi

essay on mera bachpan in hindi – मेरा बचपन पर हिंदी निबंध

आज हम अपने बचपन के दिनों को तस्वीरों में कैद करके उन्हें घर में सजाते हैंऔर अपने बचपन के दिनों को याद करके खूब हँसते और आनंदित होते है |  अगर मेरे बचपन की बात करी तो मेरा बचपन बहुत ही आनंदमय  गुजरा है| मेरे माता पिता बचपन में मुझे बहुत ज्यादा लाड -प्यार करते थे और अब भी उतना प्रेम करते है |

मैं बचपन से ही जिद्दी था मैं जिस किसी भी चीज को पसंद करता था मैं अपने माता-पिता से जिद कर उन्हें प्राप्त कर लेता था अर्थात मै अपनी क्षमता के अनुरूप ही मांग किया करता था | बचपन के दिन आज भी मुझे याद है कि जब माता-पिता अपने लिए कपड़े ना खरीद कर मेरे लिए कपड़े खरीदा करते थे |

उनके त्याग और भावनाओं को कभी भुलाया नहीं जा सकता और ना ही उन्हें शब्दों में बयां किया जा सकता है|  मेरा बचपन गांव की सड़कों ,खेत- खलिहानो, बगीचों आदि में गुजरा है|  बचपन के दिनों में जब पिताजी के कंधों पर बैठकर मेला देखने जाया करते थे उस वक्त की दृश्य और  भावनाओं को शब्दों में बयां करना मुश्किल है|

आज इस आधुनिक दुनिया में  सफलता के मार्ग को प्राप्त कर जब हम एक आलीशान बंगले में किसे कुर्सी पर आराम फरमा रहे होते हैं उनसे कहीं ज्यादा  ख़ुशी का एहसास तब होता था जब पिता के कंधों पर बैठकर मेला देखने सड़कों की गलियों में निकल पड़ते थे | मैं एक किसान का बेटा होने के कारण खेत -खालीहानो ,बगीचों में ज्यादा समय बिताया करता था | गर्मी के दिनों में तालाबों और नदियों में नहाने के दौरान खूब मनोरंजन किया करते थे |

essay on mera bachpan in hindi – मेरा बचपन पर हिंदी निबंध

जब दिन के सुबह में नाश्ता में बासी रोटी और चटनी मिल जाता था तो मन बिलकुल ही प्रफुल्लित हो जाता था | वही  ज्यादा खुशी महसूस तब होती थी जब स्कूल की पढ़ाई खत्म करके अपने दोस्तों के साथ पेड़ -पौधों और बगीचों पर बैठकर झूला झूला करते थे और पेड़ पर लगे फल को तोड़कर चुपके से खाते थे, उस वक्त के सामने आज का कोई भी वक्त मुकाबला नहीं कर सकता |

निबंध 3 ( 1550 शब्दों में ) –

भूमिका –

बचपन के बिताये गए  पल हमें पूरी जिंदगी भर ऊर्जावान रखते हैं|  हम सभी की बचपन की कुछ यादें ऐसी होती है जिसे हम पूरी जिंदगी भर संभाल के रखते हैं | बचपन में बिताये गए पल और समय से हम प्रेरणा लेते हैं और जीवन में सफलता का मार्ग प्राप्त करते हैं | आज हम जहां कहीं भी होते हैं उनके पीछे हमारा बचपन भी होता है |

सभी का बचपन अलग अलग होता है|  किसी का पूरा बचपन दुखों से भरा हुआ होता है तो किसी का बचपन पूरा ही सुख में गुजरा हुआ होता है | संसार में कई ऐसे लोग हैं जिनका बचपन सडको , गलियों पर व्यतीत  करते हुए गुजरा है तो वही ऐसे भी लोग हैं जिनका जीवन महलों की ऐसो आराम में व्यतीत हुआ है | मेरे बचपन की बात करी तो मैं एक किसान परिवार का बेटा हूं गांव में जन्म लेने के कारण मेरा पूरा बचपन खेत खलिहानओ ,बाग -बगीचों, नदी ,तालाब आदि में गुजरा है |

गरीब परिवार में जन्म लेने के कारण अपनी क्षमता के अनुसार ही जीवन गुजरा है जहाँ खाने में कभी बासी भोजन, तो नहाने के लिए नदियों और तालाबों का सहारा लेना पड़ता था | आर्थिक दृष्टिकोण से कमजोर होने के कारण वर्ष में एक बार ही नया कपड़ा सौभाग्य से प्राप्त होता था |

मेरे बचपन की घटना –

हम सभी के बचपन में कभी न कभी ऐसी घटनाएं हो जाती है जिसे पूरी जिंदगी भर भुलाया नहीं जा सकता | हमारे साथ बचपन में ऐसी भी घटनाएं घट जाती है जिसे हम बाद में याद करके बहुत ज्यादा प्रसन्न होते हैं और कुछ ऐसी भी घटनाएं हो जाती है जिसे हम याद करके दुखी हो जाते हैं | मेरे बचपन में भी कुछ ऐसी घटनाएं घटी है जिसे हम याद करके प्रायः प्रसन्न हो जाते हैं|

essay on mera bachpan in hindi – मेरा बचपन पर हिंदी निबंध

मैं जब गांव के मध्य विद्यालय में कक्षा सातवीं में पढ़ाई कर रहा था और मैं घर से तैयार होकर स्कूल के लिए निकलता था तो मेरे साथ एक लड़की भी साथ जाया करती थी क्योंकि वह मेरी सहपाठी थी और मेरे ही गाँव में रहती थी | मेरे स्कूल के कुछ ही दूरी में स्थित एक सिनेमा हॉल था जिसमें उस समय प्रचलित व लोकप्रिय फिल्मे लगा करती थी |

एक दिन मैंने उस लड़की को कहा कि मैं आज स्कूल से थोड़ी पढ़ाई करने के पश्चात भाग जाऊंगा भागकर मैं बगल के सिनेमा हॉल में मूवी देखने जाऊंगा | उस लड़की को जब यह बातें बताई तो उन्होंने मुझे कहा ठीक है मैं तुम्हारे किताबों को अपने साथ स्कूल की छुट्टी के दौरान तुम्हारे घर पर ले जाऊँगी |  मैंने उनसे कहा ठीक है तुम ऐसा ही करना |

तभी मैं स्कूल की बीच की पढ़ाई को छोड़कर एक बहाने बनाकर सिनेमा हॉल पहुंच गया |सिनेमा देखने  के बाद मैं शाम को वापस अपने घर आया और मेरा सामना मेरे पिताजी से हुआ|  हमने देखा कि वह बहुत ज्यादा गुस्से में है | उन्हें उस लड़की के द्वारा इन सभी घटनाओं का पता चल चुका था और तभी मेरी दनादन पिटाई हो गई | यह एक ऐसी घटना है मेरे जीवन की जिसे मैं हमेशा याद करके प्रसन्न हो जाता हूँ | 

मेरे बचपन की बातें – 

हर किसी की जिंदगी में उनकी बचपन की यादें जुड़ी हुई होती है | हम बचपन की यादों को याद करके अपने जीवन को और ज्यादा ताजा कर लेते है| मेरे बचपन की याद की बात अगर की जाय तो मेरी बचपन की बहुत सारी बातें हैं जो मुझे हमेशा याद करते हुए आनंद पहुंचाती है | एक बार की बात है जब मैं स्कूल में पढ़ रहा था और मेरी उम्र महज 10 साल की थी |

आज भी याद है जब मैं स्कूल हाफ पेंट और शर्ट पहन कर जाया करता था| एक समय मेरे स्कूल में खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था|  बचपन से ही प्रतियोगिताओं में भाग लेना काफी पसंद आता था, मेरे अंदर के स्वभाव को मैं रोक नहीं सका और मैंने भी खेल प्रतियोगिता में हिस्सा ले लिया |

essay on mera bachpan in hindi – मेरा बचपन पर हिंदी निबंध

खेल प्रतियोगिता के लिए खुद को सहज महसूस नहीं कर रहा था फिर भी मैंने उस में भाग लेने का निश्चय लिया | खेल के दौरान मुझे  स्कूल में मौजूद तालाब के चारों ओर से दौड़ते हुए गुजरना था |

मैं भी खेल की नियम के अनुसार तालाब के चारों और दौड़ना प्रारंभ किया अचानक तभी मेरा पांव फिसल जाने की वजह से मैं उस तालाब में जा गिरा था फौरन स्कूल के जितने भी स्टाफ और शिक्षकगण  थे , मेरी तरफ दौड़े और मुझे उस से बाहर निकाला इन बातों को याद करता हूं तो बहुत जयादा चेहरे पर मुस्कान आ जाती है | 

बचपन का अनुभव – 

ऐसा माना जाता है कि दुनिया में जितने भी सफल लोग हैं उनका उनके बचपन के साथ गहरा नाता है | क्योंकि हमारा बचपन जो होता है हमें हमारे जैसा बनने में मदद भी करता है | मेरे बचपन का जो अनुभव है जो मैंने बचपन में महसूस किया है , जो मैंने देखा है वो आज भी याद करके आंखें नम हो जाती है | 

बचपन मेंआप  मां-बाप के जितने प्यारे और लाडले होते हैं उतने प्यारे और लाडले आस पड़ोस में किसी अन्य के लिए नहीं है | मां-बाप के प्यार के अलावा आपको उन चीजों को भी महसूस करना होता है जो आपको तकलीफ देती है | मैंने मेरे बचपन से जो सीखा है कि जिनके पास पैसे होते हैं उन्हें इज्जत और सम्मान हर जगह मिलती है |

मैंने सीखा कि शिक्षा का जितना महत्व नहीं होता उससे  कहीं अधिक महत्व पैसे का होता है | मैं गरीब होने के कारण ट्यूशन के पैसे लेट से अदा किया करता था वही मेरे अमीर दोस्त जो ट्यूशन का पैसा समय से पूर्व ही जमा कर देते थे उनके इन्हीं व्यवहार के कारण वह मुझसे ज्यादा शिक्षक के प्रिय माने जाते थे |

मैंने सीखा है कि प्रकृति से प्रेम करने वाला व्यक्ति का महत्व प्रकृति को नुक्सान करने वाले से कम ही होता है | मैं एक किसान होने के नाते पेड़ लगाने में यकीन रखता था उनमे ससमय सिंचाईकिया  करता था परंतु वहीं दूसरी ओर मेरे ऐसे भी दोस्त थे जो पेड़ों को काटकर घर बनाया करते थे उनकी समाज में सम्मान और इज्जत मुझसे कही ज्यादह होती थी |

मेरी बचपन के दिनों में एक ऐसे पल को मैंने अपनी आंखों से देखते हुए रो पड़ा था की जिनके पास पैसे हैं वह सुविधाओं का फायदा उठा पाते हैं मेरे पास पैसा नहीं होने के कारण मैं सुविधाओं से काफी दूर था | अर्थात मुझे अन्य के मुकाबले कठिन समस्याओं का सामना अधिक करना पड़ता था क्योंकि मै गरीब था |

बचपन के दिनों में मेरे अन्य अमीर दोस्त के पास पैसे होने कारण वे पंखे की हवा में शिक्षा अध्ययन करते थे जहां मैं सिर्फ और सिर्फ हाथ से बने पंखे को इस्तेमाल करके शिक्षा अध्ययन था | 

मेरे बचपन का पाठ – 

मेरे बचपन से सीखा कि पैसे सभी समस्याओं का हल है|  ईमानदारी और नेकनीयती की भावना आपको गरीब बनाता है| मै अपने बचपन के दिनों में ये सीखा के कैसे आप अपनी शक्ति और बुराई से दुनिया में कुछ भी प्राप्त कर सकते है | बचपन में मैंने बहुत सारी असामाजिक बुराई को देखा है |

मैंने महसूस किया कि जब एक गरीब परिवार का बच्चा भूख के कारण तड़पता है तो उसे भोजन देने वाला कोई नहीं मिलता तो वही अमीर घर के बच्चे के पास भोजन की कोई कमी नहीं होती है | मैंने सीखा के समाज के अंदर किस तरह अमीरी और गरीबी का भेद फैला हुआ है | मैंने बचपन के दिनों में महसूस किया की कैसे जाती , सम्प्रदाय और धर्म के नाम पर कैसे भेदभाव किया जाता है |

मैंने बचपन में सीखा कि कैसे एक शिक्षक पैसे के कारण अन्य बच्चों में भेद कर सकता है | बचपन में स्कूली शिक्षा के दौरान देखा कैसे एक गरीब बच्चों को शिक्षक के द्वारा डांट या फटकार मिलती है और वही सुख और समृद्ध परिवार के बच्चों को सराहना मिलती है|  बचपन से ही देश में फैली भ्रष्टाचार और नफरत को देखना शुरू कर दिया था |

जहां एक और बचपन में मुझे गांधी के सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया जाता था और मुझे तब हैरत होता था कि जब उन्हीं शिक्षक के द्वारा पैसे को आधार बनाकर कैसे भेद किया जाता है | मैंने यह भी सीखा कि किताब में लिखी हुई बातें हमारी जिंदगी से बिल्कुल अलग होती है किताब में पढ़ी हुई बातों को अपने दैनिक जीवन में प्रयोग करके सिर्फ और सिर्फ गरीबी और लाचारी को ही प्राप्त करते हैं |

essay on mera bachpan in hindi – मेरा बचपन पर हिंदी निबंध

दुनिया में हमें जीवित रहने के लिए दुनिया के रीती रिवाजों में ढलना और चलना होता है | कितने वर्ष गुजर जाने के बावजूद आज भी मैं गलत कार्यों से स्वयं को दूर रखता हूं और सही कार्यों की ओर प्रेरित होता हूँ |  आज भी मैं खुद को आदर्श मानता हूं | मानता हूं गलत तरीकों से बहुत सारा धन कमाने के बजाय  हम गरीब ही रहकर सच्चाई और ईमानदारी का मार्ग अपनाकर दुनिया को अलविदा कह दे | 

निष्कर्ष – 

बचपन हमारे जीवन का सबसे अहम हिस्सा होता है | बचपन में जो हम देखते हैं ,जो सीखते हैं वह हमारे जीवन में तथ्य बनकर उभरते हैं|  बचपन का जीवन अधिक संवेदनशील खड़ा हुआ होता है हमारे सामने जो घटती है उसे हम सच मान लेते हैं हमारा दिमाग खाली होता है और जो हम देखते समझते हैं महसूस करते हैं उन्हें अपनी मानसिकता में बिठा लेते हैं |

हमारे बच्चों को उनके बेहतर भविष्य के लिए बचपन में बेहतर शिक्षा का प्रावधान करना चाहिए|  असामाजिक तत्व और बुराइयों से दूर रखना चाहिए | उन्हें सफल और मजबूत बनने की प्रेरणा देना चाहिए | उन्हें यह बताना चाहिए कि समाज में फैली कुरीतियों और तथ्य को बिना सच्चाई जाने उन्हें अपनाने नहीं चाहिए| 

इस लेख को प्यार देने के लिए आपका शुक्रिया !

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