Essay on Peacock in Hindi For Students

essay on peacock in hindi – मोर पर हिंदी निबंध

आज हम इस लेख के माध्यम से मोर पर हिंदी निबंध 2021 सीखेंगे जो कक्षा 2 , 3 , 4 , 5 ,6 ,7 ……. 12 सभी वर्ग के बच्चो के लिए परीक्षा के दृष्टिकोण से अत्यधिक लाभप्रद होने वाली है , तो चलिए सीखते है मोर पर हिंदी निबंध 2021 …..
निचे बच्चो की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए लघु , मध्यम तथा बड़े निबंध ( short , medium and long essay ) प्रस्तुत किये गए है जो संभवतः बच्चो की आवशयकताओ की पूर्ति कर पाएगी। …….

मोर पर हिंदी निबंध

( short , medium and long essay )

निबंध संख्या – 1

 

कक्षा – 2 के लिए मोर पर हिंदी निबंध – essay on peacock in hindi for class 2  (200 – 250 शब्दों में ) 

मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है | इसे नर के रूप में मोर तथा मादा के रूप में मोरनी के नाम से जाता है | ये जयादातर खुले वनो में रहना अत्यधिक पसंद करते है | इसकी बनावट अत्यधिक मनमोहक होती है | वर्षा ऋतू के आने से यह अत्यधिक प्रसन्न हो जाते है | क्योंकि वर्षा ऋतू में यह अपने पंखो को फैलाकर नृत्य करते हुए अपनी अपार ख़ुशी को प्रकट करते है |

मोर के सिर पर ताज की तरह दिखने वाला कलंगी होता है जो इसे अन्य पक्षियों से अत्यधिक सुन्दर दिखने में मदद करता है | इनकी मनमोहक सुंदरताओं के कारण इसे  पक्षियों का राजा भी कहा जाता है | इनका वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेटस है | यह ऊँची पेड़ो पर रहना अत्यधिक पसंद करते है |

यह भोजन के रूप में साँप , गिलहरी , चूहे तथा गिरगिट इत्यादि का भी सेवन करते है | यह भारत के वनो में पाया जाता है |यह 4 -5 मोर तथा मोरनियों के झुण्ड बनाकर रहना पसंद करते है |

essay on peacock in hindi

essay on peacock in hindi – मोर पर हिंदी निबंध

यह जिव प्यास लगने पर करार में लग कर अपने पसंदीदा स्थान पर पानी पीना पसदं करते है | किसी तरह की परेशानी आने पर यह घबराकर भागने लगते है तथा उड़ने में काम ही रूचि लेते है | तेज़ दौड़ लगाकर अपनी सुरक्षा को सुनिश्च्ति करते है |

राष्ट्रीय पक्षी मोर पर हिंदी निबंध – essay on national bird peacock in hindi language (900 – 1000 शब्दों में ) 

निबंध संख्या – 2

इस धरा पर सभी पक्षियों में अपनी अलग सौंदर्य और प्राकृतिक बनावट के कारण विख्यात मोर नामक पक्षी को ही भारत सरकार के द्वारा  26 जनवरी,1963 को भारत का राष्ट्रीय पक्षी बनने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ | मोर का वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेटस है |

मोर भारत तथा श्रीलंका में अतयधिक मात्रा में पाया जाता है | यह मूलतः वनो में पाया जाने वाला जिव है परन्तु अपने भोजन को तलाश में यह मनुष्यो की आबादी के पास भी देखा जाता है | नर की लम्बाई लगभग 215  सेंटीमीटर तथा ऊँचाई लगभग 50  सेंटीमीटर होती है वही मादा मोर की लम्बाई 95 सेंटीमीटर की ही होती है |

नर और मादा मोर की पहचान करना कोई बड़ी चुनौती नहीं है इसे आसानी से पहचाना जा सकता है | नर मोर के सिर के ऊपर बड़ी कलंगी होती है तथा मादा मोर के सिर के ऊपर छोटी कलंगी होती है | नर मोर के छोटी पुच्छ के ऊपर लम्बे व सजावटी पंख होते है | पँखो की सँख्या लगभग 150 होती है | वही मादा मोर के पुच्छ पर कोई सजावटी पंख नहीं होते है |

वर्षा ऋतू में नृत्य के दौरान इनके पंख झड़ जाते है | परन्तु प्रत्येक वर्ष अगस्त के महीने में इनके पंख पूरी तरह से झड़ जाते है और फिर गर्मी के आगमन के साथ – साथ पँख भी आ जाते है | यह जिव प्रायः नीले रंग में पाया जाता है परन्तु कई जगहों में यह सफ़ेद, हरे तथा जामुनी रँग में भी पाए जाने की भी खबर सामने आयी है |

इनका कोई घोंसला नहीं होता है | मोरनी अंडे देने के लिए कोई सुरक्षित स्थान धरातल पर ही ढूँढ  लेते है | इन जीवो की जीवन आयु लगभग 25 – 30 वर्ष की होती है | एक नर मोर की दौरने की रफ़्तार 16 किमी / घंटा आंकी गयी है | संस्कृत भाषा में इसे मयूर के नाम से जाना जाता है वही अंग्रेजी भाषा में इसे ब्लू पीफॉल  अर्थात पीकॉक कहते है |

मोर प्रकृति की अद्भुत रचना है जो मनुष्यो के लिए प्राचीन से ही आकर्षण का केंद्र रहा है | इसकी सुंदरता कुदरत की  विषमयकारी सुंदर प्रकृति की परिभाषा को जग – जाहिर करने का कार्य करती है | पौराणिक कथाओ में भी मोर के वर्णन को एक उच्च स्थान प्रदान किया जाता था | माना जाता है की भगवान् श्रीकृष्ण अपने मुकुट में मोर पंख को लगाना अतयधिक भाव देते थे जो  मोर की  महत्ता को दर्शाता है |

भारत देशे के महान प्राचीन कवी कालिदास ने अपनी महाकाव्य – मेघदूत में भी मोर को एक उपयुक्त स्थान प्रदान किया है जो इस जिव की महत्ता को दर्शाने का कार्य करती है | मोर शुरू से ही राजा – महाराजाओ के लिए भी आकर्षण का केंद्र होता था इनकी सुन्दर बनावट से राजा – महाराजा भी स्वयं को मोहित होने से रोक नहीं सके |

भारत के प्रसिद्ध सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य भी अपने शाशन काल के दौरान अपने राज्य के सिक्को के पीछे मोर के चित्र को उकरने का प्रयत्न किया था | भारत पर अपना आधिपत्य स्थापित करने वाले मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने भी अपने सिंहाशन को मोर की तरह निर्माण करवाया था जिसका नाम इतिहास के पन्नो में तख़्त – ए – ताऊस के नाम से प्रसिद्ध है |मोर मांसभक्षी होते है |

यह भोजन के रूप में छोटे  साँपो , कीड़े , पतंगों, चूहों, गिलहरियों इत्यादि को मारकर खाने में रूचि रखते है तथा बड़े तथा विशाल जीवो को सेवन करने से डरते है | कई ऐसे क्षेत्रो के रिपोट के आधार पर ये बात सामने आयी है के पेड़ से गिरे हुए फलो को भी भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हुए दिखाई दिए है | भोजन की तलाश में ये जिव खेती के क्षेत्रो में जाकर वह धान , मटर, टमाटर , मिर्च तथा केला इत्यादि को भोजन के रूप में भी सेवन करते है|

भोजन की कमी को देखते हुए ये जिव मनुष्य की बस्तियों के समीप भी जीवन – यापन करते हुए दिखाई देते है | इंसानो के द्वारा फेंके गए भोज्य – पदार्थो को भी इन्हे सेवन करते हुए दिहाई दिए है |  प्राकृतिक सौंदर्यता के कारण इस जिव के कई सारे दुश्मन भी हो जाते है जो इसे नुकसान पहुंचने की कोसिस करते रहते है |

वनो में अन्य जानवरो के द्वारा शिकार कर लिया जाता है तथा मनुष्यो के द्वारा भी का इनका तस्करी किया  जाता है , परन्तु अपनी सुरक्षा और शिकारियों से बचने के लिए यह उड़  के पेड़ पर बैठ जाते है | मानव – बस्ती के आसपास कभी – कभी मोर का शिकार कुत्तो के द्वारा हो  जाता है 

मोर पर हिंदी में छोटे निबंध -short essay on peacock in hindi ( 500 शब्दों में ) –

निबंध संख्या – 3

मोर एक सुन्दर पक्षी है | मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी भी कहा जाता है | यह आमतौर पर नील रंग का होता है तथा किसी विशेष क्षेत्रो में यह सफ़ेद , जामुनी रंगो में भी पाया गया है | मोर अपने 4 -5 साथियो के साथ हमेश झुण्ड में रहता है | नर मोर के छोटे पुच्छ पर लम्बा तथा बड़ा पँख होता है |

जबकि मादा मोरनी के पुच्छ पर पंख नहीं होते है | नर मादा के लगभग 150 -200 गोलाकार सुंदर पँख होते है | परन्तु यह पंख उनके नृत्य के दौरन झड़ जाते है और यह प्रायः प्रत्येक वर्ष अगस्त के माह में स्वंय झड़ जाते है | और ग्रीष्म काल में स्वतः निकल भी आते है |

मोर की आकर्षक एवं मनमोहक शारीरिक बनावट के कारण ही हमारे देश भारत में भारत सरकार के द्वारा  26 जनवरी,1963 को राष्ट्रीय पक्षी के रूप में मोर को घोषित कर दिया गया |  मोर भोजन के रूप में धान , फल – फूल , मटर , टमाटर ,केला तथा चूहे , छोटे – छोटे साँप इत्यादि ग्रहण करते है |

मोर भारत के साथ श्रीलंका में भी अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है | मोर ऊँचे पेड़ो पर रहना पसंद करते है | मादा मोरनी अपने लिए घोंसले नहीं बनती है बल्कि सुरक्षित स्थान ढूँढ का धरातल पर ही अंडे देने का काम करती है | अपने शत्रुओ से बचने के लिए यह झुण्ड में रहना पसंद करते है | प्यास बुझाने के लिए मोर अपने साथी के साथ लम्बी कतार में लगकर एक के बाद एक पानी पीते है |

वनो में इनके जीवन – यापन करने में काफी संघर्षो का सामना करना पड़ता है | चीते तथा जगुआर जैसे जानवरो का प्रायः शिकार हो जाते है | अपने दुश्मनो से बचने के लिए यह ऊँचे पेड़ पर चढ़ जाते है परन्तु अन्य जानवर जैसे चीते पेड़ पर चढ़कर उनका शिकार कर पाने में सफल भी हो जाते है | वनो के अंदर इनके चिंघाडने की आवाज़ से इनके होने का आसानी से पता चल जाता है |

मोर वनो में कम सुरक्षित माने जाते है तथा चिड़ियाघरों में इनके मानवो के द्वारा देखभाल किये जाने के कारण यह अत्यधिक सुरक्षति माना जाता है | मोर की जीवन अवधी लगभग 25 – 30 वर्ष मानी गयी है | मोरनी दौरने में अत्यधिक सक्षम नहीं होते है तथा मोर एक घंटे में लगभग 16 किलोमीटर की दुरी तय कर पाने में सक्षम माने जाते है |

नर मोर के सिर के ऊपर एक बड़ी कलंगी पायी जाती है जिससे उसके नर होने का पहचान चल जाता है तथा वही मादा मोर के सिर के ऊपर छोटी कलंगी पायी जाती है जिससे उनके मादा होने का पहचान मिल जाता है | मोर का वैज्ञानिक नाम पावो क्रिस्टेटस है | प्राचीन से ही इस प्राणी को उच्च स्थान दिया गया है | शास्त्र – महाकाव्यों में भी इस पक्षी के वर्णन के बारे में पता चलता है जो इसकी महत्ता को दर्शाता है |

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