Hindi Essay on Mahatma Gandhi For Children and Students

hindi essay on mahatma gandhi

hindi essay on mahatma gandhi – 2023 

भूमिका :–

–  भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कई नेताओ तथा समाज के ठेकेदारों ने हिस्सा लिया था तथा अपने  देशवासियो की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे थे |  परन्तु महात्मा गाँधी ने अपनी अदम्य साहस ,  स्वच्छ मन , कर्मठता, त्याग , बलिदान तथा अहिंसा की भावना से परिपूर्ण हो , इस हद तक संघर्ष की लड़ाईया लड़ी के पूरा भारतवर्ष अंग्रेज़ो के चंगुल से आज़ाद हो गया |

गाँधी जी ने अपनी संघर्षो के दौरान अपनी मर्यादा , भारतीय सभ्यता और संस्कृति को भी  दुनिया  के सामने एक धरोहर की तरह प्रस्तुत कर दिया की भारतीय सभ्यता और संस्कृति मे वो अदम्य साहस है की हम भारतीय अहिंसा के मार्ग को अपनाकर एक अत्यंत  क्रूर शासक  तथा उनकी  क्रूरता भरी शासन  को परास्त कर सकते है |

और ये विचारधारा हमे हमारे पूजनीय गांधी जी से ही संभव हो पाया | इस महान पुरुष ने ही हमे अंग्रेज़ों की दमनकारी नीतियों को समझने कर अवसर प्रदान कर दासता से परिपूर्ण जीवन का आभाष कराया | किस सिमा तक हम अंग्रेजी हुकूमत के गुलाम बन चुके थे, दासता और स्वतंत्रता में फर्क करना बताया, हमे जगाया और अपनी गरिमा को बचाने तथा दासता से मुक्ति पाने के लिये एक सुयोग्य मार्क का भी आह्वान करवाया |

भारतीय स्वंत्रता – संग्राम में साथ निभाकर हम भारतीय को उसी गरिमा और अपनी  मातृभूमि को अंग्रेज़ो के चंगुल से छीनने का साहस दिया | हमे उनकी विचारधारा से आत्मबल मिला और हम अंग्रेज़ो की एक मजबूत बेड़ियों को तोड़ने में कामयाब हो सके |

जन्म तथा विवाह :-

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर  सन 1869 ई0 को भारत के गुजरात प्रान्त के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ | उनके बचपन का  नाम  मोहनदास करमचंद गाँधी था | उनके  पिता का नाम करमचंद गाँधी था तथा उनकी माता का नाम पुतलीबाई थी | माता – पिता दोनों ही अत्यंत सरल और सादा जीवन जीने में आस्था रखते थे और यही वो  कारण था जिससे महात्मा गाँधी भी सादा जीवन जीने में यकीं रखते थे|

तथा उनके पिता पेशे से एक दीवान थे तथा अपना कार्य राजकोट में संपन्न करते थे | तथ माता शांत और शुशील स्वभाव की  एक घरेलु महिला थी | महात्मा गांधी ने अपनी माता की स्वाभाव से प्रेरित होकर अपने संपूर्ण जीवन को एक आदर्श दे पाने में सक्षम हो सके | गाँधी की का विवाह उस समय की सामजिक कुप्रथा के अनुसार ही संपन्न हुआ था |

माता – पिता के आदेशानुसार ही गाँधी की का विवाह मात्र साढ़े 13 साल की अवस्था पूर्ण करते ही 14 वर्षीय कस्तर बाई मकनजी के साथ सन 1883 के मई महीने में बाल विवाह संपन्न हो गया, बाद में  पत्नी का नाम कस्तूरबा रख दिया गया |

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महात्मा गाँधी की शिक्षा :-

महात्मा गाँधी की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही एक सरकरी विद्यालय से प्रारम्भ हुई | पोरबंदर  के स्कूल से ही उन्होंने मिडिल की परीक्षा पास की तथा हाई स्कूल की परीक्षा उन्होंने राजकोट से उत्तीर्ण की | मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात उन्होंने भावनगर के शामलदास कॉलेज से आगे की पढाई संपन्न की |

पठन – पाठन में गाँधी जी एक औसत श्रेणी के शिक्षार्थी रहे थे | माता – पिता अपने बेटे को एक बैरिस्टर के रूप में देखना चाहते थे परन्तु गाँधी जी की रूचि पढाई के प्रति अत्यधिक नहीं थी | अंततया 4 सितम्बर 1888 ई० को  महात्मा गाँधी बैरिस्टर की पढाई करने के लिए इंग्लैंड के एक कॉलेज यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन में नामांकन हो गया |

महात्मा गाँधी का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से सम्बन्ध :-

इंग्लैंड से बैरिस्टर की पढाई करने के  पश्चात वे भारत लौट आये तथा राजकोट को ही गरीबो और पीड़ितों की भलाई के लिए अपना ठिकाना बना लिया तथा  उनकी समस्याओ, अर्जियों को लिखना शुरू कर दिया | तभी उन्हें एक कार्य के लिए दछिण- अफ्रीका जाने का अवसर प्राप्त हुआ |

वहाँ उन्हें भारतीयो की समस्याओ तथा उनकी पीड़ा से दो चार होने का एक जीवन निर्णायक अवसर प्राप्त हुआ | तथा स्वयं उन्हें भी कुछ ख़ास होटलो में जाने से मनाही कर दिया तथा उन्हें एक वारदात के दौरान कचहरी में चल रहे न्यायिक फैसले के समय उन्हें पगड़ी उतारने को कहा गया और महात्मा गाँधी ने उन्हें उतरने से इंकार कर दिया |

किस हद तक जातीय , सामाजिक , रंग – भेद , नस्लीय अदि भेदभाव संसार के अंदर फैला हुआ है | इस घटना ने महात्मा गाँधी को झकझोर कर रख दिया तथा अपने जीवन का एक निर्णायक फैसला लिया के अपना जीवन गरीबो, दलितों , कमजोर, पीड़ितों तथा संपूर्ण मानव जाती की सम्मान , गरिमा और उनकी स्वतंत्रता के लिए अर्पित कर दूंगा |

और शीघ्र ही महात्मा गाँधी ने अपनी सम्मान तथा भारतीय गरिमा को बचाये रखने के लिए अंग्रेजी – साम्राज्य के विरूद्ध अपनी आवाज़ बुलंद करने में जुट गए | सन 1918 ई० में मजदूरों और गरीबो पर हो रहे अत्यचार तथा ब्रिटिश दमनकारी नीतियों के खिलाफ महात्मा गाँधी ने विरोध प्रदर्शन किया और उनका मार्गदर्शन कर विद्रोह का रूप तैयार किया जिससे ये दमनकारी नीतियों का गला घोंटा जा सके |

भारत के बड़े भू – स्वामीयो तथा जमींदारों ने ब्रिटिश शाशन के साथ अपना गठजोड़ कर लिया था जिससे भारत के लोगो को अनाज तथा कृषि  कार्यो पर कर का बोझ अधिक पर गया तथा उनके जानवरो से प्राप्त दूध को भी ब्रिटिश अपने भोजन में मिला लिए थे तथा भारतीय गरीब बच्चे की स्वास्थ बिगड़ने लगे तथा गावों में अस्वक्षता की स्थिति बद से बदतर होती चली गयी |

तथा भारतीय किसान अपनी दुर्दशा और गरीबी से पीड़ित होकर भोजन के लिए आवश्यक खाद्य – पदार्थो को उपजाना छोर कर व्याो वसायिक खेती करने का निर्णय लिया और वे निल की खेती से जुड़ गए जिससे वे अब स्वयं को उन्नत और समृद्ध बना सके परन्तु ये विचारधारा ब्रिटिश शासको को नापसंद आ गयी और फिर महात्मा गाँधी ने किसान भाइयो को एक जुट कर संघर्ष कर दिया | और इन्ही संघर्षो को आज हम लोग “ चम्पारण सत्याग्रह ” तथा ” खेड़ा सत्याग्रह ” के नाम से भी जानते है और ये संघर्ष अंतया सफल हो गयी |

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उपसंहार

महात्मा गाँधी ने अपने देशवासियो के साथ मिलकर भारतीय स्वतंत्रता – संग्राम की एक लम्बी लड़ाई के पश्चात 15 अगस्त 1947 ई० को आखिरकार अपने देशवासियो की  गरिमा भरी तथा आत्मसम्मान के साथ जीवन जीने का स्वप्न पूर्ण कर लिया तथा उनका सभी भारत वासियो को एक धागे में पिरोकर स्वतंत्र जीवन जीने का स्वपन कही न कही अधूरा ही रह गया और अंतया हमारा देश दो भागो में बँट गया और इस तरह भारत के दो हिस्से हो गए – भारत और पाकिस्तान |

महात्मा गाँधी की महानं विचारधारा , विद्वता , समाज – सेवा , नि – स्वार्थ भावना इत्यादि से कुप्रेरित होकर नाथू राम गोडसे नामक एक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को हमारे पूजनीय बापू का जीवनलीला समाप्त कर दिया |

और इस तरह हमने एक युगपुरष , महापुरष , तथा महान आत्मा को अलविदा कह गए और हमे अहिंसा और सच्चाई का मार्ग दिखा गए | ऐसे महान पुरुष को दिल की गहराइयों से शत – शत नमन व श्रद्धांजलि  अर्पित |

hindi essay on mahatma gandhi ,  thanks for reading and keep support.

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