आइये सीखते है हिंदी में होली पर निबंध –
holi par nibandh – होली पर निबंध
परिचय –
होली हिन्दुओ का एक महत्वपूर्ण त्योहार है | होली भारत के प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहारो में से एक है | यह प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में मनाया जाता है | होली भाईचारे को बढ़ावा देने वाला पर्व है | इस दिन सभी लोग अपनी पूर्व दुखों अथवा क्लेश को भूलकर भाईचारे तथा दोस्ती को और मजबूत करते है |
यह विशेषकर रंगो का त्योहार है | लोग रंगों के साथ इस पर्व को मनाते है | इस पर्व में लोग रंग – गुलाल के साथ कई सारे पकवान का भी सेवन करते है | इस पर्व के दौरान लोग कई सारे लोक गीतों तथा धर्मिक गीतों का भी मनोरंजन करते है |
इस पर्व में सामजिक अस्पृश्यता , छुआछूत इत्यादि कुप्रथाओ का कोई मोल नहीं रह जाता है | बिना कोई सामाजिक भेदभाव के लोग होली के इस पर्व को बड़े ही आनंदायक ढंग से मनाते है | होली के दिन सभी लोग एक दूसरे को रंग – गुलाल लगाते है |
holi par nibandh – होली पर निबंध
सुबह में रंग को होली खेलने का बाद कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है | लोग नृत्य – क्रीड़ा का भी कार्यक्रम बड़े ही आनंदायक ढंग से करते है | कई लोग एक झुण्ड बनाकर लोगो के घरों में प्रस्थान करते है | उनका आदर सत्कार कर सूखे गुलाल लगाकर उनका मनोरंजन करते है |
होली मनाने के कारण ( होली मनाने की प्रथा की शुरुआत ) -:
ऐसा माना जाता है कि एक नगर में एक शक्तिशाली दानव राजा निवास करता था | जिसका नाम हिरण्यकश्यप था | वह स्वयं को भगवन बताने लगा था तथा अपने राज्य में भगवन की पूजा करने से मनाही कर दिया था | वह लोगो को खुद की पूजा – अर्चना करने की सन्देश देता था और उन्हें अपनी पूजा के लिए विवश करता था |
राजा की बहन होलिका भी इसी प्रविर्ती की थी वह भी राजा की तरह स्वयं को देवी मानती थी तथा उनकी भक्ति से उसे ये वरदान प्राप्त था की – आग उसे जला नहीं सकती | परन्तु वह परमात्मा के विरुद्ध ही हो गयी और स्वयं को देवी मानने लगी थी | राजा का एक बेटा भी था जिसका नाम प्रह्लाद था लेकिन वह भगवान का सच्चा भक्त था |
वह अपने परमात्मा की भक्ति हमेश सच्चे भाव के साथ किया करता था | प्रह्लाद की सच्ची भक्ति को देख राजा पिता हिरण्यकश्यप ने उन्हें जंगलों में सांप से डँसने का निर्देश दिया परन्तु परमात्मा की महिमा से साँप ने उन्हें डँसने से मना कर दिया |
प्रह्लाद ने पिता से कहा हम ईश्वर की भक्ति से वरदान प्राप्त तो कर सकते है लेकिन हम परमात्मा से बड़े नहीं हो सकते है लेकिन दानव पिता ने अपनी शक्तियों को परमात्मा की शक्ति से अधिक सबल मानता था | एक दिन दानव पिता ने प्रह्लाद को होलिका के साथ आग में बैठने का मूर्खतापूर्ण आदेश जारी कर दिया इस विश्वश्नीयता के साथ की होलिका को आग में नहीं जलने का वरदान प्राप्त है और प्रह्लाद दुनिया से मृत्यु को पहुंच जायेगा |
राजा के निर्देश मिलते ही आग के अंदर दोनों भक्तो को डाला गया परन्तु कुछ छन पश्चात होलिका जलकर मृत्यु को पहुँच जाती है और प्रह्लाद को एक नयी जीवन प्राप्त हो जाता है | अर्थात इसी ख़ुशी में होली मनाने की प्रथा की शुरुआत हुई | भगवान् की सच्ची भक्ति करने से बड़ी से बड़ी समस्याओ से निकाला जा सकता है |
भारत की विभिन्न संस्कृतियों की होली -:
भारत में होली का पर्व विभिन्न छेत्रों में विभिन्न गतिविधियों तथा विभिन्न् शैलियों के साथ मनाया जाता है | उदाहरन के तौर पर महारष्ट्र की रंग पंचमी में सूखे गुलाल खेलने की प्रथा लोगो को काफी पसदं आता है |
गोवा के शिमगो में लोगो की भी काफी रूचि देखने को मिलती है इसलिए के यहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा झांकी का आयोजन लोगो में अलग ही उत्साह भर देता है | बिहार में मनाया जाने वाला भगुआ यहाँ के गरीब , मजदूर तथा किसानों के लिए एक ख़ास मनोरंजन का माध्यम बन जाता है और लोग दल में बँट कर रंग – गुलाल का आयोजन करते है तथा खूब मनोरंजन उठाते है |
बरसाने की लठमार होली तो काफी प्रसिद्ध है इसमें पुरष लोग महिलाओं पर रंग फेंकने का कार्य करते तथा महिलाओं के द्वारा पुरषो को कपड़ो से बानी डंडे से मरने की प्रथा देश में काफी लोकप्रिय है | हरियाणा की धुलंडी में पुरुषों को भाभियों के साथ रंग – गुलाल खेलने का रिवाज़ लोगो तथा दुनिया का ध्यान अपने ओर आकृष्ट कर ही लेती है |
मथुरा और वृन्दावन में 15 दिन पहले से ही होली के कार्यक्रमों को आयोजित करने का रिवाज़ लोगो को काफी पसंद आता है | कुमॉऊ की गीत बैठकी में शाष्त्रिय संगीत की गोष्ठी का आयोजन दिल को छा जाता है |
holi par nibandh – होली पर निबंध
होली का महत्व – :
होली रंगों के पर्व के साथ – साथ भाईचारे का भी पर्व है | होली के आने से समाज के लोगो में काफी घालमेल भी देखने को मिलता है | जिससे आपस में एकता को बल मिलता है | इस पर्व के आते ही लोग बाज़ार जाकर विभिन्न रंग – गुलालों की खरीदारी करना प्रारम्भ कर देते है |
इस पर्व के आते ही लोग आपसी मतभेद को मिटाकर एकजुटता को बल प्रदान करते है | इस पर्व के दौरान लोगो की सामजिक भेदभाव व अस्पृश्यता की भावना कम जागृत होती है | लोग इस पर्व में एक दूसरे के घर जाते है तथा रंग – गुलाल लगाकर आपसी मतभेद का समापन भी कर देते है |
होली के रंग में सराबोर होकर लोग इनकी विभिन्न रंगो के साथ खुशियाँ बांटते है और खुश रहते है | होली के इस पर्व से हमे यह सन्देश भी मिलता है की हम अच्छे कर्मो से अच्छे फल भी प्राप्त करते है तथा कुकर्म व दुष्ट कर्मो को अंजाम देकर स्वयं की जीवनलीला भी समाप्त कर लेते है |
होली के नकारात्मक पक्ष – :
आज होली में रंग – गुलाल के साथ – साथ लोग शराब क भी अत्यधिक प्रयोग करते है | होली के इस खूबसूरत पर्व को लोग अपने कर्मो से इसे शर्मशार भी कर देते है | आज रंगो का व्यापक रूप से प्रयोग होली के पर्व में प्रयोग किया जाता है | रँगो की अत्यधिक पूर्ति के लिए रासायनिक रूप से निर्माण किया जाना मानव जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है |
होली के इस पर्व में रँगो के अत्यधिक प्रयोग से वातावरण प्रभावित हो रहा है | रँगो के अत्यधिक प्रयोग से हमारा सिमित जल भी प्रदूषित हो रहा है | वायु – प्रदुषण की भी समस्या देखने को मिलती है | शराब के अत्यधिक प्रयोग के कारण अत्यधिक दुर्घटनायें भी देखने को मिलती है |
हमारे देश की जनसँख्या को देखते हुए होली के दिन अत्यधिक स्तर पर रंगो का प्रयोग किया जाता है जिससे हमारा पर्यावरण रासायनिक रंगो से भर जाता है जिससे यहाँ के लोगो में श्वशन सम्बन्धी बीमारियों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो जाती है | जिससे हमलोगो को स्वास्थ्य – सम्बन्धी समस्याएँ देखने को मिल जाती है | रँगो के व्यापक प्रयोग से हमारा स्वास्थ्य कई चुनौतियों का सामना कर रहा है | और जिससे हम अन्य देशों के मुकाबले स्वास्थ्य छेत्र में पिछड़ रहे है |
holi par nibandh – होली पर निबंध
और पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे >
इस लेख को पढ़ने के लिये आपका दिल से आभार !